गणेश पुराण में लिखा गया है कि -
ध्यानद्यैरुपचारैर्मां तथा पञ्चामृतादिभि:।
स्नानवस्त्राद्यलंकारसुगन्धधूपदीपकै:।।
नैवेद्यै: फलताम्बूलैर्दक्षिणाभिश्चयोर्चयेत्।
भक्त्यैकचेतसा चैव तस्येष्टं पूरयाम्यहम्।
एवं प्रतिदिनं भक्त्या मद्भक्तो मां समर्चयेत्।।
इस श्लोक के मुताबिक भगवान गणेश ने कहा है कि जो इंसान नीचे बताए तरीके से मेरी पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना सिद्ध हो जाती है -
- सबसे पहले गणेशजी का ध्यान, पञ्चामृत स्नान, शुद्ध जल स्नान, वस्त्र, आभूषण, इत्र, धूप, दीप नैवेद्य, फल, सुपारी और दक्षिणा अर्पित कर पूरी भक्ति भाव और एकाग्रता के साथ आरती और प्रार्थना करना चाहिए।
- इसी तरीके से रोज खासतौर पर चतुर्थी पर आस्था के साथ गणेश पूजा-अर्चना हर विघ्र दूर करती है और मनचाहा सौभाग्य पाने की इच्छा पूरी करती है।