यस्या: प्रभावमतुलं भगवाननन्तो
ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तुमलं बलं च ।
सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय
नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोति ।।
(श्रीदुर्गासप्तशती 4/4)
अर्थ-
"जिनके अनुपम प्रभाव और बलका वर्णन करनेमें भगवान् शेषनाग,ब्रह्माजी तथा महादेवजी भी समर्थ नहीं हैं,वे भगवती चण्डिका सम्पूर्ण जगत का पालन एवं अशुभ भयका नाश करने का विचार करें"।
(सर्वदा शुभ ही शुभ करें)।
माँ भगवती की कृपासे आपका दिन मङ्गलमय हो