मेघश्यामं पीतकौशेयवासं
श्रीवत्सांकं कौस्तुभोद्भासिताङ्गम् ।
पुण्योपेतं पुण्डरीकायताक्षं
विष्णुं वन्दे सर्वलोकैकनाथम् ।।
अर्थ-
"मेघ के समान जो श्यामवर्ण हैं, पीतवर्णका रेशमी पीताम्बर जिनका वस्त्र है,जिनके हृदयमें श्रीवत्स( भृगु के चरणप्रहार चिह्न) हैं, कौस्तुभमणि की कान्तिसे जिनका श्रीअङ्ग सुशोभित है। जो पुण्य से युक्त हैं,कमल के समान जिनके नेत्र विशाल हैं,ऐसे समस्त लोकों के स्वामी श्री विष्णु को मैं प्रणाम करता हूँ।"
श्रीविष्णु भगवान की कृपा से सभी का दिन मङ्गलमय हो