जय माँ
शामिल हो तुम मेरी हर कहानी मे
कभी होठो की मुस्कराहट मे
कभी आँखों के पानी में
हे मेरे प्राणाधार
अब इस अकिंचन पर अपनी कृपा करो दयानिधि
हे नाथ है परम् दयालू करुणा प्रेम के सागर अब मुझे इस संसार के समस्त बन्धनों से मुक्त करो और स्वयं में समाहित हो जाने दो।
हे कृपालु मेरे सभी विकारों का नाश कर मुझे पूर्णतयः अपने योग्य बना लो और मुझे सदा के लिये अपने चरणों में वास देकर मेरे हृदय में साक्षात प्रकट हो जाओ।
इस तरह से मेरे हृदय में प्रवेश करो कि तुम्हारे अतिरिक्त संसार और तन की कोई भी सुधि न रहे।
मेरे रोम रोम में प्रेम रस मदिरा बहा दो और मुझे पूर्ण रूप से अपना लो प्रभु।
हे योगिराज अब यह वियोग सहन करना मेरे वश में नहीं अब तो दया कर मेरा योग स्वयं से करा दो ।
यदि यह जीवन भी सांसारिक विषयों में ही व्यर्थ बीत गया तो फिर इस मनुष्य देंह को मुझे देने का क्या अर्थ रहा।
हे मेरे प्यारे प्रभु इस जीवन के एकमात्र लक्ष्य तुम ही हो ये जीवन सार्थक कर दो प्रभु।
समस्त दैहिक दैविक भौतिक बाधाओं से मेरी रक्षा करो, मुझे अपना बना लो, ऐसी कृपा करो जिससे मैं तुम्हारा हो जाऊं और तुम मेरे हो जाओ।