शूलेन पाहि नो देवि
पाहि खङ्गेन चाम्बिके ।
घण्टास्वनेन न पाहि
चापज्यानि:स्वनेन च ।।
(श्री दुर्गासप्तशती 4/24)
अर्थ-
" देवि!आप शूलसे हमारी रक्षा करें।अम्बिके! आप खङ्गसे भी हमारी रक्षा करें तथा घण्टाकी ध्वनि और धनुषकी टंकारसे भी हमलोगोंकी रक्षा करें।"
माँ भगवती की कृपासे आपका दिन मङ्गलमय हो