shashikant pandey's Album: Wall Photos

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जगत जननी मां विंध्यवासिनी का अलौकिक दिव्य दर्शन ।
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कुकर्मी कुसङ्गी कुबुद्धि: कुदासः कुलाचारहीन: कदाचारलीन: |
कुदृष्टि: कुवाक्यप्रबन्धः सदाहं गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥
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मैं कुकर्मी, बुरी संगति में रहनेवाला, दुर्बुद्धि, दुष्टदास, कुलोचित सदाचार से हीन, दुराचारपरायण, कुत्सित दृष्टि रखनेवाले और सदा दुर्वचन बोलनेवाले हूँ, हे भवानी ! मुझ अधमकी अब एकमात्र तुम्हीं मेरी गति हो, तुम्हीं मेरी गति हो ।
जय मां विंध्यवासिनी ।