shashikant pandey's Album: Wall Photos

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प्राच्यां रक्ष प्रतीच्यां च
चण्डिके रक्ष दक्षिणे ।
भ्रामणेनात्मशूलस्य
उत्तरस्यां तथेश्वरि ।।
सौम्यानि यानि रूपाणि
त्रैलोक्ये विचरन्ति ते ।
यानि चात्यर्थघोराणि
तै रक्षास्मांस्तथा भुवम् ।।
(श्रीदुर्गासप्तशती 4/25-26)
अर्थ-
"चण्डिके!पूर्व,पश्चिम और दक्षिण दिशा में आप हमारी रक्षा करें तथा ईश्वरि!अपने त्रिशूल को घुमाकर आप उत्तर दिशामें हमारी रक्षा करें।तीनों लोकोंमें आपके जो परम सुंदर एवं अत्यंत भयंकर रूप विचरते रहते हैं,उनके द्वारा भी आप हमारी तथा इस भूलोक की रक्षा करें।"
माँ भगवती की कृपा से आपका दिन मङ्गलमय हो