*आज चष्ठम नवरात्र के दर्शन:- श्री ब्राह्मणी माताजी चित्तौड़गढ़ श्रिंगार केसरिया पोशाक हरी चमकीली बॉर्डर हरी पिछवाई रातरानी ईत्र मुंबई से लाए गए पुष्प हार गूगल धूप केसर तिलक अर्पित*
मेरी चित्तौड़वाली मैया रे
मेरी जोतावाली मैया रे
मेरी मेवाड़वाली मैया रे
मेरी चित्तौड़वाली मैया रे
मेरी जोतावाली मैया रे
मेरी मेवाड़वाली मैया रे
इस जीवन की तुम जीवन हो
मेरी मैया तुम्हे कैसे बतलाऊं
अगर दुख होता पार तुम्हारे बिना
इस विराह व्यथा को कहाँ तक गांऊ
हक देती हो तुम भी मैया
जब मै अपना दुख दर्द सुनांऊ
मेरे दिल मे रहती हो मैया तुम्ही
कैसे अपना दिल चीर दिखांऊ
मेरी चित्तौड़वाली मैया रे
मेरी जोतावाली मैया रे
मेरी हंसवाली मैया रे
मेरी चित्तौड़वाली मैया रे
मेरी जोतावाली मैया रे...
पुछुं ईक बात बताओ गी क्या
मैया ये निठुरता धारी है क्यों
जब हम नही तुम्हे विसारते है
तुने मेरी याद विसारी है क्यों
हो के दीनों की बन्धु है माँ
ना पूंछी बात है हमारी क्यों
जब लाखो पापी तारे दिऐ
फिर मेरी वार इन्कारी है क्यों
फिर मेरी वार इन्कारी है क्यों
फिर मेरी वार इन्कारी है क्यों
मेरी चित्तौड़वाली मैया रे
मेरी जोतावाली मैया रे
मेरी हंसवाली मैया रे
मेरी चित्तौड़वाली मैया रे
मेरी जोतावाली मैया रे...
कोई बोले ना बोले हमसे
हमको इसकी परवाह नही
हमे चाह है अपनी मैया की
किसी ओर की हम को चाह नही
किसी ओर की हम को चाह नही
किसी ओर की हम को चाह नही
कोई आये तो बैठे पलकों पर
जाये तो कोई इन्कार नही
हम चाकर अपनी मैया के है
किसी ओर के ताबेदार नही
किसी ओर के ताबेदार नही
किसी ओर के ताबेदार नही
मेरी चित्तौड़वाली मैया रे
मेरी जोतावाली मैया रे
मेरी हंसवाली मैया रे
मेरी चित्तौड़वाली मैया रे
मेरी जोतावाली मैया रे...
तुझ बिन मेरी मैया प्यारी
अब मुझे को लाड लडायेगा कौन
माँ तुने ही ठुकराया जो दर से
फिर मुझको अपनायेगा कौन
मैया फिर मुझको अपनायेगा कौन
मैया फिर मुझको अपनायेगा कौन
मात पिता ओर भाई बन्धु स्वार्थ के
सब मीत है अब किसके गले लगु मै
मैया तुझ बिन बांये फैलायेगा कौन
तुझ बिन बांये फैलायेगा कौन
तुझ बिन बांये फैलायेगा कौन
मेरी चित्तौड़वाली मैया रे
मेरी जोतावाली मैया रे
मेरी मेवाड़वाली मैया रे
मेरी हंसवाली मैया रे
मेरी चित्तौड़वाली मैया रे
मेरी जोतावाली मैया रे
मेरी मेवाड़वाली मैया रे
मेरी हंसवाली मैया रे