*आज होमष्टमी नवरात्र के दिव्य दर्शन:- श्री ब्राह्मणी माताजी पाट स्थान चित्तौड़गढ़*
बाण माता के स्वागत में गरबा की गूंज {सरलीकृत}
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हँसला ओ हँसला हँसला ओ हँसला॥
हँसला तु उड़ ने जाना चित्तौड़गढ़ रे,
मात ब्राह्मणी से मिलके कहना गरबा खेलेंगे।
म्हारी मात ब्राह्मणी से जईने कीजो गरबो रमे रे॥॥
म्हारा गाँव का सुतार भाई बेगा आवो रे,
म्हारी मात ब्राह्मणी के लिये सुंदर बाजोट लाओ रे,
अच्छा लाओ सुंदर लाओ जल्दी आओ रे,
मात ब्राह्मणी से मिलके कहना गरबा खेलेंगे॥॥
म्हारा गाँव का बजाज भाई जल्दी आवो रे,
म्हारी मात ब्राह्मणी के लिये सुंदर चुँदडी लाओ रे,
अच्छी लाओ सुंदर लाओ जल्दी आओ रे,
मात ब्राह्मणी से मिलके कहना गरबा खेलेंगे॥॥
म्हारा गाँव का लीलहार भाई बेगा आवो रे,
म्हारी मात ब्रह्माणी के लिये सुंदर चुड़िया लाओ रे,
अच्छी लाओ सुंदर लाओ जल्दी आओ रे,
मात ब्रह्माणी से मिलके कहना गरबा खेलेंगे॥॥
म्हारा गाँव का सुनार भाई जल्दी आवो रे,
म्हारी मात ब्राह्मणी के लिये सुंदर पायल लाओ रे,
अच्छी लाओ सुंदर लाओ जल्दी आओ रे,
मात ब्राह्मणी से मिलके कहना गरबा खेलेंगे॥॥
म्हारा डाँगी गजु भाई बेगा आवो रे
म्हारी कुलदेवी बाण माताजी रे चित्तौड़ जानो रे,
सिसोदिया चालो, गहलोत चालो, डाँगी चालो रे,
मात ब्राह्मणी से मिलके कहना गरबा खेलेंगे।। ।।
म्हारा गाँव का कुम्हार भाई बेगा आवो रे,
म्हारी मात ब्राह्मणी के लिये सुंदर गरबा लाओ रे,
अच्छा लाओ सुंदर लाओ जल्दी आओ रे,
मात ब्राह्मणी से मिलके कहना गरबा खेलेंगे॥॥
हँसला ओ हँसला हँसला ओ हँसला॥
हँसला तु उड़ ने जाना चित्तौड़गढ़ रे,
मात ब्राह्मणी से मिलके कहना गरबा खेलेंगे।
म्हारी मात ब्रह्माणी से जईने कीजो गरबो रमे रे॥॥