काशीश्वरं सकलभक्तजनार्तिहारं
विश्वेश्वरं प्रणतपालनभव्यभारम् ।
रामेश्वरं विजयदानविधानधीरं
गौरीश्वरं वरदहस्तधरं नमाम: ।।
(श्रीविश्वनाथमङ्गलस्तोत्रम् -2)
अर्थ-
"काशीके ईश्वर,सम्पूर्ण भक्तजनकी पीडाको दूर करनेवाले,विश्वेश्वर,प्रणतजनोंकी रक्षा का भव्य भार धारण करनेवाले,भगवान् राम के ईश्वर,विजय प्रदानके विधानमें धीर एवं वरद मुद्रा धारण करने वाले,भगवान् गौरीश्वर को हम प्रणाम करते हैं।"
भगवान् की कृपा से आपका दिन मङ्गलमय हो