एकानेकस्वरूपाय स्थूलसूक्ष्मात्मने नम:
अव्यक्तव्यक्तरूपाय विष्णवे मुक्तिहेतवे ।
सर्गस्थितिविनाशानां जगतो यो जगन्मय:
मूलभूतो नमस्तस्मै विष्णवे परमात्मने ।।
(श्रीविष्णुपुराण,2/3-4)
अर्थ-
"जो एक होकर नाना रूपवाले हैं,स्थूल-सूक्ष्ममय हैं,अव्यक्त(कारण) एवं व्यक्त(कार्य) रूप हैं तथा[अपने अनन्य भक्तोंकी] मुक्ति के कारण हैं,[ उन श्रीविष्णुभगवान् को नमस्कार है]।जो विश्वरूप प्रभु विश्वकी उत्पत्ति,स्थिति और संहार के मूल-कारण हैं,उन परमात्मा विष्णुभगवान् को नमस्कार है।"
श्री भगवान् विष्णु की कृपासे आपका दिन मङ्गलमय हो