shashikant pandey's Album: Wall Photos

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किं वर्णयाम तव रूपमचिन्त्यमेतत्
किं चातिवीर्यमसुरक्षयकारि भूरि ।
किं चाहवेषु चरितानि तवाद्भुतानि
सर्वेषु देव्यसुरदेवगणादिकेषु ।।
(श्रीदुर्गासप्तशती,4/6)
अर्थ-
" देवि! आपके इस अचिन्त्य रूपका, असुरोंका नाश करनेवाले भारी पराक्रमका तथा समस्त देवताओं और दैत्योंके समक्ष युद्धमें प्रकट किये हुए आपके अद्भुत चरित्रों का हम किस प्रकार वर्णन करें।"
माँ भगवती की कृपासे आपका दिन मङ्गलमय हो