आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोस्तुते ।
सप्ताश्वरथारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम्
श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ।।
(सूर्याष्टकम् श्लोक 1-2)
अर्थ-
" हे आदिदेव भास्कर!आपको प्रणाम है।हे दिवाकर!आपको नमस्कार है।हे प्रभाकर! आपको प्रणाम है। आप मुझपर प्रसन्न हों।
सात घोड़े वाले रथपर आरूढ़,हाथ में श्वेत कमल धारण किए हुए,प्रचण्ड तेजस्वी कश्यपकुमार सूर्य को मैं प्रणाम करता हूँ।"
भगवान् भास्कर की कृपासे आपका दिन मङ्गलमय हो