shashikant pandey's Album: Wall Photos

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हे मनुष्य मत ग़ीर लालच की इतनी गहराई में की खींच ना सकू मैं,
मत कर ईर्ष्या , मत कर घमण्ड मेरे ही द्वारा दी हुई चीज़ो की।
सोच , सोच की क्या लाया था और क्या ले जाएगा ?
कैसे आया था और कैसे जाएगा । क्यो अपने कर्मो को निज स्वार्थ के चलते व्यर्थ करता है । क्या डर नही तुझे नियति का प्रकृति का जो भूल निरंतर करता है। तू देगा कष्ट निज स्वार्थ के चलते मेरी ही पुत्र को तो कैसे सुनुगी गर्भगृह में खड़े तेरे भी फरियाद को ।