*करनी का फल अवश्य ही भोगना होगा।*
*कोई लाख अपने गुनाह छिपाये।* *उस रब से कुछ नहीं छिपा सकते। जब उसकी मार पड़ती है तब अच्छे-अच्छों की अक्ल ठिकाने लग जाती है। तब उसे अपने गुनाह याद आने लग जाते हैं कि, मैंने किस के साथ क्या किया।* *इसलिए हमेशा एक बात याद रखिए -"जो करेगा, वो भरेगा। "हम सब उस कुलमालिक की शरण में है। जब हम ईश्वर को मानते हैं, तो सब कुछ उस परमपिता परमात्मा पर छोड़ देना चाहिए। यदि कोई अपने आपको ईश्वर से बढ़कर समझता हो और दूसरों की बेइज्जती करता हो या अपनी मान-बड़ाई या अंहकारवश दूसरों का अपमान करता हो। उसे उस के किए की सजा एक न एक दिन अवश्य मिलेगी। कुदरत किसी के साथ नाइंसाफी नहीं करती। जो बोया है वही सामने आएगा। हाँ देर जरूर हो सकती है, अंधेर नहीं।"* *"करम जो जो करेगा तू, वही फिर भोगना भरना।*