*जय जय माँ विंध्यवासिनी*
*होगी कभी न हार तू अवसर तलाश कर ,*
*उड़ने का हौसला है तो अम्बर तलाश कर ।*
*दुनियाॅ की भीड़ तुझ को नही देगी रास्ता,*
*बढ़ना है जिन्दगी मे तो ठोकर तलाश कर।*
*हर एक कदम पे दुनियाॅ करेगी सवाल भी,*
*पहले परख ले प्रश्न फिर उत्तर तलाश कर।*
*पत्थर पे भी सुकून से नींद आएगी तुझे,*
*चैन औ करार अपने तू भीतर तलाश कर ।*
*है बाज़ुओ पे अपने भरोसा अगर तुझे,*
*धरती हरी-भरी नहीं बंजर तलाश कर*
*बिखरे हुए थे फूल जो मै ने पिरो दिये,*
*लाया है इसी बाग़ से 'अनवर 'तलाश कर ।*