shashikant pandey's Album: Wall Photos

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श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम् | नव कंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणम् ||

कंदर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरज सुन्दरम् | पट पीत मानहु तड़ित रूचि शुचि नौमि जनक सुतावरम् ||

भज दीन बन्धु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम् | रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम् ||

सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अंग विभूषणम् | आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर - दूषणम् ||

इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम् | मम हृदय कंज निवास कुरु कामादि खल दल गंजनम् ||

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों। करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।

एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली। तुलसी भवानी पूजिपूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।

जानी गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाए कहीं | मंजुल मंगल मूल बाम अंग फर्कन लगे || श्री रामचन्द्र की जय