भगवान सदा ही अपने भक्त के हृदय में निवास करते हैं।इसलिए भक्त सब गुण से हीन होकर भी सभी गुण संपन्न हो जाता है क्योंकि जब हृदय में भगवान निवास करने लगते हैं तो भगवान के सभी गुण भक्त के अंदर स्वतः ही आ जाते हैं।इसी कारण भगवान शिव में राम जी के तो सभी गुण हैं ही।इसके अतिरिक्त एक गुण अधिक भी है जो राम जी में नही है और वो गुण है भक्तों की सिफारिश करने का।शिव जी भक्तों की सिफारिश राम जी तक पहुंचाते हैं।
हे भोले बाबा हम तो अति कुटिल स्वभाव के विषयों में लिप्त मनुष्य है हम तो करोड़ों जन्म भी राम नाम जप कर राम जी की शरण योग्य नहीं बनेंगे।परन्तु यदि आप सिफारिश कर देंगे,तो हम पर भी राम जी अवश्य दया करेंगे।आप राम जी से कह दीजिये कि ये झूठा सच्चा कैसे भी राम राम तो कर रहे हैं आप इन्हें अपना लीजिए।
हे भोले बाबा हम तो दुर्गुणों के भंडार है और आप गुणों के समुद्र है।आप के अंदर राम जी और राम जी के अंदर आप और आप हमारे अंदर आ जाइये तो हमारे अंदर भी कुछ गुण आ जाएंगे।आप कृपा से ही हम भगवत प्राप्ति के योग्य बन पाएंगे क्योंकि:-