shashikant pandey's Album: Wall Photos

Photo 2,109 of 3,072 in Wall Photos

माथे में त्रिपुण्ड बिधु बालहू बिराजै ‘प्रेम’,
जटन के बीच गंगधार को झमेला है।
सींगी कर राजै एक कर में त्रिसूल धारे,
गरे मुंडमाल घाले काँधे नाग-सेला है।।
कटि बाघछाला बाँधे भसम रमाये तन,
बाम अंग गौरी देवी चढ़न को बैला है।
धेला है न पल्ले, खरचीला है अजूबी भाँति,
ऐसा गिरिमेला देव संभु अलबेला है।।

तन पर वस्त्र नहीं, दिशाएं ही जिनका वस्त्र है, कमर पर बाघम्बर या हाथी की खाल और सांप लपेट लेते हैं, नहीं तो बर्फीले पहाड़ों पर दिगम्बर ही घूमते हैं, चिता की भस्म ही जिनका अंगराग है, गले में मुण्डों की माला, केशराशि को जटाजूट बनाए, कण्ठ में विषपान किए हुए, अंगों में सांप लपेटे हुए, क्रीड़ास्थल श्मशान, प्रेत-पिशाचगण जिनके साथी हैं, एकान्त में उन्मत्त जैसे नृत्य करते हुए–ऐसा रुद्र स्वरूप, पर नाम देखो तो ‘शिव’। संसार में वे अपने भक्तों के लिए सर्वाधिक मंगलमय हैं। यह विरोधाभास भी बड़ा रहस्यपूर्ण हैं। ‘शिव’ जब अपने स्वरूप में लीन रहते हैं तब वह सौम्य रहते हैं, जब संसार के अनर्थों पर दृष्टि डालते हैं तो भयंकर हो जाते हैं।

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांगरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै ‘न’काराय नम: शिवाय।।

भगवान शिव का सगुण स्वरूप इतना अद्भुत, मधुर, मनोहर और मोहक है कि उनकी तेजोमयी मंगलमूर्ति को देखकर स्फटिक, शंख, कुन्द, दुग्ध, कर्पूर, चन्द्रमा आदि सभी लज्जित हो जाते हैं। समुद्र-मंथन से उद्भूत अमृतमय पूर्णचन्द्र भी उनके मनोहर मुख की आभा से लज्जित हो उठता है। मनोहर त्रिनयन, बालचन्द्र, जटामुकुट और उस पर दूध जैसी स्वच्छ गंगधारा मन को हठात् हर लेती है। हिमाद्रि के समान स्वच्छ व धवलवर्ण नन्दी पर जब शिव शक्तिरूपा उमा के साथ विराजमान होते हैं तब ऐसे शोभित होते हैं जैसे साक्षात धर्म के ऊपर ब्रह्मविद्या ब्रह्म के साथ विराजमान हैं। ✨❤️