shashikant pandey's Album: Wall Photos

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देवापि और मरू अभी भी कलापग्राम में रहते हैं ! कलयुग के अंत में कल्कि भगवान की आज्ञा से वे दुबारा जन समाज के बीच आयेंगे !

(श्रीमद्भागवत महापुराण, द्वादश स्कन्ध, अध्याय 2)

श्रीशुकदेवजी कहते हैं परीक्षित! भीष्मपितामह के पिता राजा शन्तनु के बड़े भाई देवापि और इक्ष्वाकु वंशी मरू इस समय कलाप-ग्राम में स्थित हैं। वे बहुत बड़े योग बल से युक्त हैं । कलियुग के अन्त में कल्कि भगवान की आज्ञा से वे फिर यहाँ आयेंगे और पहले की भाँति ही वर्णाश्रम धर्म का विस्तार करेंगे ।

देवापिः शान्तनो र्भ्राता मरुश्चेक्ष्वाकु वंशजः ।
कलापग्राम आसाते, महा योग बलान्वितौ ॥ ३७ ॥
ताविहैत्य कलेरन्ते वासुदेवानुशिक्षितौ ।
वर्णाश्रम युतं धर्मं पूर्ववत् प्रथयिष्यतः ॥ ३८ ॥

(श्रीमद्भागवत महापुराण, नवम स्कन्ध, अध्याय 12)

मरू ने योग साधना से सिद्धि प्राप्त कर ली और वह इस समय भी कलाप नामक ग्राम में रहता है। कलियुग के अन्त में सूर्यवंश के नष्ट हो जाने पर वह उसे फिर से चलायेगा।

सोऽसावास्ते योग सिद्धः कलाप ग्राममास्थितः ।
कलेरन्ते सूर्यवंशं नष्टं भावयिता पुनः ॥ ६ ॥