भगवान सूर्य का अवतरण संसार के कल्याण के लिए हुआ है इसलिए पंचदेवोपासना में उनका विशिष्ट स्थान है। शास्त्र कहते हैं कि ‘आरोग्यं भास्करादिच्छेत्’ अर्थात् आरोग्य की कामना भगवान सूर्य से करनी चाहिए। सूर्य की उपासना से मनुष्य का तेज, बल, आयु एवं नेत्रों की ज्योति की वृद्धि होती है; मनुष्य दीर्घायु होता है। सूर्य समस्त नेत्र-रोग व चर्म-रोग को दूर करने वाले देवता हैं। भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब ने अपने कोढ़ के रोग को सूर्य की उपासना से दूर किया था।
☀️ श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब हुए भयंकर कुष्ठरोग से ग्रस्त ☀️
भगवान श्रीकृष्ण और जाम्बवती के पुत्र साम्ब बलवान होने के साथ ही अत्यन्त रूपवान भी थे। अपनी सुन्दरता का अभिमान ही उनके पतन का कारण बना। एक बार रुद्रावतार दुर्वासामुनि द्वारकापुरी में आए। तप से अत्यन्त क्षीण हुए दुर्वासा को देखकर साम्ब ने उनका उपहास किया। इससे क्रोध में आकर दुर्वासामुनि ने साम्ब को शाप दे दिया कि ‘तुम कोढ़ी हो जाओ।’ उपहास बुरा होता है; और वही हुआ।
भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब अत्यन्त भयंकर कुष्ठरोग से ग्रस्त हो गए। रोग दूर करने के लिए अनेक उपचार किए पर उनका कुष्ठ नहीं मिटा।