टटोले अपने तन के तारोँ को...
निकाले अपने मन के भावोँ को, विचारोँ को
फिर संजोए अपने आप को आने वाले कल के लिए...
फिर से लडने के लिए सहने के लिए...
फिर लीन हो निन्द्रा मेँ चल पडे
एक सुहाने सपनोँ के सफर को...
एक सुहाने सपनोँ के सफर को...!!!!
. "शुभरात्रि"