Anupama Jain's Album: Wall Photos

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Do I think about crush.....
#पश्चिम् #बंगाल की #शीला #घोष:

कहती हैं, "जब तक ज़िंदा हूं, भीख नहीं माँगूंगी।"

आत्म सम्मान क्या होता है, यह जानने के लिए शीला घोष के जीवन से और बेहतर उदाहरण क्या हो सकता है।

87 साल की एक बुजुर्ग महिला, जिनके पति, बेटा, बेटी सब परिवार छोड़ कर चले गए। घर में बहू है, एक मेंटली डिसेबल्ड बेटी और एक पोता। अपने इस परिवार को चलाने की जिम्मेदारी शीला ने अपनी पूरी तरह से झुक चुकी कमर पर उठा ली है।

शीला ने मोमबत्तियां बनाकर बेचना शुरू किया लेकिन मोम बड़ा मंहगा पड़ता था।
फिर एक दिन उनके पोते ने भाजा (पकौडे़) बेचने का आइडिया दिया। शीला को ये बात पसंद आई। तब से शुरू हुआ भाजा बेचने का वो सफर अनवरत जारी है।

शीला ने गरीबी के चलते भीख का सहारा नहीं लिया बल्कि उन्होंने कोलकाता में बंगाली भाजा (पकौडे़) बेचने शुरू किये । जहां शीला बंगाली भाजा बेचती हैं वहां से उनका घर करीब दो घंटे की दूरी पर है जहां से शीला रोज अपडाउन करती हैं।

87 साल की बुजुर्ग के लिए यह एक लम्बा सफर है। जब शीला से पूछा जाता है कि वे थक जाती होंगी, तो वे सिर्फ हंस देती हैं और कहती हैं कि उनकी सेहत खराब नहीं है।

परिस्थितियां ऐसी थीं कि वे चाहती तो भीख मांग लेतीं लेकिन उन्होंने मेहनत करना चुना, जिसके चलते वे लोगों के सम्मान योग्य बन गईं।

शीला समाज के लिए एक बेहतरीन उदारहण है जो नई इबारत लिख रही हैं।

शीला की ज़िंदा दिली को सलाम।