जी में आता है
तेरे दामन में सर छुपा के हम
रोते रहें, रोते रहें
तेरी भी आँखों में
आंसुओं की नमी तो नहीं
तेरे बिना ज़िन्दगी से..
तुम जो कह दो तो
आज की रात चाँद डूबेगा नहीं
रात को रोक लो
रात की बात है
और ज़िन्दगी बाकी तो नहीं
तेरे बिना ज़िन्दगी से.....गुलज़ार साहब ।