Anupama Jain's Album: Wall Photos

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जुनून इसको कहते है।
₹10000000000000000.
की कीमत के रमैय्या !
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सत्तर साल के दरियापल्ली रमैय्या ...

तेलंगाना के खम्मम जिले के छोटे से गाँव रेड्डीपल्ली के किसान , जिनकी साइकिल के झोले , कुर्ते , बंदी की जेबों और गले में टंगे अंगौछे में प्रकृति और पूरा वन बसता है.

दिनचर्या ....
सुबह से पत्नी के साथ साइकिल , अब इनाम में मिलने के बाद मोटरसाइकिल , पर थैली में ढेरों प्रकार के देशी बीज और यथासंभव फलदार व छायादार पेडों की पौध , गाय के गोबर की खाद आदि लेकर निकल पड़ते है .
जहां बंजर जमीन देखी कुछ पेड़ लगाए , उर्वर जमीन पर बीज रोपे , स्थानीय लोंगों को प्रकृति और वन का महत्व बता , लगाए पेड़ों की सुरक्षा की शपथ दिलाई , और ...
आगे बढ़ लिए , एक नई जगह की तलाश में .

साथ चलता है मिशन का पूरा प्रचार तंत्र ...
कुछ पैम्फलेट , दोनों के चेहरों पर मुखौटानुमा मुकुट , और गले में लहराती एक पट्टिका , जिसमे लिखा होता है ...
" वृक्षो रक्षिति रक्षितः"
(पेड़ बचाएं , ये आपको बचाएंगे)

तीन एकड़ जमीन थी , बेच दी एक पौधशाला बनाने में .
घर बदल डाला प्रकृति के म्यूजियम में , जिसमें 600 से ज्यादा वृक्षों के बीजों का संग्रह है .

उन्हें पहली बार देखने वाले , प्रकृति को नष्ट करने वाले , पर्यावरण के नाम पर आडंबर करने वाले और हम जैसे शहरी रमैय्या को पागल कहते है ,
लेकिन वह अपनों और उसे जानने वालों के लिए ...
' चेत्तु रमैय्या ' ( वृक्ष रमैय्या ) , और
' वीरजीवी रमैय्या ' (वनरक्षक रमैय्या ) है .

रमैय्या को इस वर्ष " पद्मश्री " से विभूषित किया गया है .

वैसे वे 'डॉ रमैय्या' भी हैं , क्योंकि उनकी उपलब्धियों पर ढोंग करने वालों और मीडिया में खुद को संरक्षणकर्ता के तौर पर प्रचारित रखने वालों ने उन्हें 'डॉक्टरेट' से सम्मानित कर रखा है .
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अब आप पूंछेंगे कि मैंने रमैय्या की कीमत खरबों में क्यों लगाई ?
आप ही कहते हैं कि एक हरा भरा पेड़ अपने पूरे जीवन- पर्यावरणीय चक्र में आक्सीजन समेत कुल 16 लाख रुपयों का लाभ मानव जीवन को देता है !
रमैय्या ने 1 करोड़ पेड़ लगाए और पता नहीं कितने किलो बीज बिखेरे ...
उनकी समाज को दी गयी संपत्ति 1 करोड़ पेड़ से अधिक ही होगी !
इसे गुणा कर दीजिए 16 लाख से ....
रमैय्या जैसे लोग धरा के सबसे अमीर और सबसे बड़े दानदाता हैं .... 'वैल्यू' में किसी भी कॉर्पोरेट या स्वास्थ्य रक्षा तंत्र से कई गुना कीमती !
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कल और अगले दो माह तक अखबारों में देखिएगा ....
पर्यावरण संरक्षण और 'पेड़ लगाओ' अभियान का वार्षिक अरबों रुपयों का जलसा ... 'वन महोत्सव' !

कुछ नेता , कुछ अधिकारियों , कुछ समाजसेवियों और सोशलाइट्स का मीडिया में सालाना फोटोशूट ... आडंबर के इस खेल में जो पौबारह सो अलग , कुछ दरखास्त लगाएंगे गिनीज़ और लिम्का में दर्ज होने की !!!!

' मेरे लिए तो रमैय्या जैसों की जय बोल '

आपको पर्यावरण दिवस पर शुभकामनाएं