ओशो ने साधना और सेक्स दोनों के लिए बोला क्यूंकि शरीर में बन रही ऊर्जा का संबंध दोनों से है,, लेकिन लोगो ने सिर्फ़ सेक्स को समझा और उसपे विवाद किया l साधना समझ गए होते तो आज भारत कुछ और होता l भारत अपनी पुरानी विरासत में फिर से प्रसिद्ध हो जाता l.... सम्भोग से समाधि की ओर का मतलब ये नहीं था कि दिन भर सेक्स करो l उसका अर्थ तो ये था कि सम्भोग मे व्यर्थ हो रही ऊर्जा को नीचे से ऊपर की ओर यानी समाधि की ओर ले आओ l ये अर्थ था l लेकिन लोगो ने सम्भोग से समाधि की ओर की जगह सम्भोग में समाधि समझ लिया तो फिर इसमे रजनीश जी क्या करे l