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एकता जोशी

चाणक्य नामक कोई भी व्यक्ति इतिहास में नहीं हुआ है। ब्राह्मणों का वर्चस्व दिखाने के लिए चाणक्य, कौटिल्य और विष्णुगुप्त नामक काल्पनिक पात्रों का निर्माण ब्राह्मणों ने इतिहास में किया है।

अलेक्जेंडर और मौर्यकालीन विचारक डायोडोरस सिलिकस, प्लुटार्च, जस्टिन, पोम्पियस ट्रोगस, ऐपियन, स्ट्रैबो, प्लिनी जैसे प्रख्यात ग्रिक इतिहासकारों की किताबों में चाणक्य, कौटिल्य या विष्णुगुप्त का नाम कहीं पर भी नहीं मिलता हैं। इन इतिहासकारों ने लिखा है कि, चंद्रगुप्त खुद के बलबूते पर विजयी हुआ था। चंद्रगुप्त मौर्य के ग्रिक सलाहकार मैगस्थनीज ने भी अपनी किताब इंडिका मे चाणक्य का नाम तक नहीं लिया है। अलेक्जेंडर तक्षशिला महाविद्यालय में दस आचार्यों से मिला था लेकिन उनमें किसी का भी नाम चाणक्य नहीं है।

काल्पनिक पात्र चाणक्य का निर्माण मध्ययुगीन कथा 'चाणक्य-चंद्रगुप्त कथा' के रूप में लिखकर ब्राह्मणों ने चंद्रगुप्त मौर्य के जीवन में चाणक्य को घुसाया है। काल्पनिक चाणक्य की मनघडंत बातों का विस्तृत वर्णन इस सन आठवीं सदी में लिखे गए मुद्राराक्षस नाटक में दिया गया है। यह नाटक चंद्रगुप्त मौर्य के लगभग एक हजार साल बाद लिखा गया था और उसमें काल्पनिक पात्र चाणक्य का महिमामंडन किया गया है। चंद्रगुप्त मौर्य के वास्तविक शौर्य और बुद्धिकौशल्य को धुमिल करने के लिए काल्पनिक चाणक्य को इस नाटक के जरिए सामने लाया गया है।

इससे साबित होता है कि, चाणक्य, कौटिल्य या विष्णुगुप्त एक काल्पनिक पात्र हैं।