आप चाहे कितने भी निर्भीक,समझदार और हाजिरजवाब बन जाये लेकीन जब तक आप तथ्यो को तोडना और सामने वाले दोस्त/दुश्मन/अजनबी की बात पर भरोसा करने की जगह तुलना करना सीख नही लेते तब तक कोई भी #वामपंथी_या_मीशनरी वाला आपको शब्दों के जाल मे फसाकर #अपराधबोध वाली मनस्थिति पर ला हि देगा।अक्सर हमारे आस-पास ऐसी सैकडो बाते होती है जो हमारे अंदर संदेह पैदा करती है लेकीन हम उस पर ध्यान देने की जगह खुद को उदासीन बना लेते है और फिर वही कहानियां हमारे अपमान/मजाक का कारण बनती है...........
एक ऐसी हि कहानी पिछले कुछ दिनो से वामपंथीयो,मीशनरी वालो के पेज व ग्रुप पर खुब फैलाई जा रही है........कहानी