आज जब अटल जी की तुलना,विवेचना का दौर चालु है और उनके खीलाफ लोग अपनी भडास नीकालने मे व्यस्त है तो बेहद दुख होता है।मानवीय संवेदना और नैतिकता की दुहाई जींदा लाशो को कोई दे भी तो कैसे???
जीन बातो व विषयों ने कलाम सर और बालासाहेब के समय तकलीफ पहुचाई थी वही बाते फिर से