पड़ोस के घर में शायद कुछ मेहमान आये थे। बहुत चहल पहल लगी हुई थी दो दिन से । मैंने काम वाली बाई से ऐसे ही पूछा, तो उसने बताया कि मैडम की ननंद आयी हुई है अपने बच्चों के साथ। कुछ दिन रहेगी यहाँ क्योंकि उनके पति काम से कहीं बाहर गये है। कुछ दिन बाद पूनम (मेरी पड़ोसन) मुझे सोसाइटी के प्ले एरिया में मिली । वो वहां अपने बच्चों के साथ आई थी। मैं भी अपनी बेटी को ले के गई थी। बच्चे अपना खेल रहे थे और हम अपनी बातें करने लगे। बातों बातों में उसकी ननंद के आने के बारे में भी बात हुई। मैंने ऐसे ही पूछ लिया कि उनका मन लग जाता है? मेरा मतलब कहावत है न के मायका तो माँ से ही होता है। उसने कुछ ऐसा कहा जो मेरे दिल को छू गया। उसने कहा मेरी ननंद बहुत अच्छी है। मुझे बहुत सम्मान देती हैं। अपने आने की खबर वो अपने भाई को नही मुझे देती है। जब मम्मीजी जिन्दा थी, तब भी मुझे ही फोन कर के बोलती थी कि भाभी मैं आ रही हूँ । बात बेशक इक फोन की है, मुझे बहुत सम्मानित महसूस होता है, कि मेरे घर कोई आ रहा है, मैं भी तैयारी में लग जाती हूँ कि घर की बेटी आ रही है, कोई कमी न रह जाये। वो बहुत समझदार है। उन्हें ये अच्छे से पता है कि मायका माँ के जाने के बाद भी मायका ही रहता है सिर्फ रिश्ते निभाने की इच्छा होनी चाहिए वो भी दोनों तरफ से। इक तरफ की कोशिश से गाड़ी ज्यादा दूर नही चलती। दोनों तरफ से वक़्त, प्यार, समर्पण, सव-इच्छा सब चाहिए रिश्ता प्यार का बनाने के लिए।
हर लड़की अगर ये समझ ले कि उसकी शादी के बाद अब मायके पे भाभी का हक ज्यादा है, उसे सम्मान दे, जहाँ भी भाई को देखे भाभी को भी साथ देखे, तो कोई भी बहू या भाभी शैतान नही होती जो अपनी सास या ननंद का निर-आदर करे। बस कुछ बातों को ध्यान में रखने की जरुरत है।
भाभी के सामने काना फुस्सी मत करो, इसके लिए फोन उपलब्ध है, जिससे बात करनी है वो बाद में फोन पे कर लें, भाभी को पराया महसूस मत कराऐं
आपके ससुराल से कोई आपके मायके में आ रहा है तो सबसे पहले भाभी से बात करें, वो सेवा में कोई कमी नही छोड़ेगी, खुशी खुशी चहकते चहकते आपका भी सम्मान बढ़ाएगी आपके ससुराल में, बात सिर्फ इक फोन की है और प्यार से बात करने की, उसे अच्छा लगेगा, किसी और को फोन करोगे तो सेवा तो हो जाएगी लेकिन उसे नौकर जैसा महसूस होगा।
भाभी के जन्मदिन, शादी की सालगिरह, उसके बच्चों के जन्मदिन, भाभी के मायके में कोई भी सुख दुःख पे उनसे बात करें, हो सके तो मिल के आयें। वो ये सब कभी नही भुलेगी, आपको वैसा ही सम्मान देगी, शायद उससे भी ज्यादा ।
भाभी बड़ी हो या छोटी, हमेशा याद रखें, दर्जा भाभी का ही बड़ा होता है, उसे सम्मान दो, फिर ननंद चाहे बड़ी हो या छोटी, भाभी उसे अपनी बेटी जैसा ही सम्मान देगी।
अगर ऐसा हो, तो भाभी को आपकी तरफ से ये तोहफा नायाब होगा । ता-उम्र के लिए, जो आपके मायके को कभी पराया नही होने दे