Jaiprakash Tripathi
प्रणब दा ने अपनी किताब में लिखा है।की मोदीजी के कार्यकाल के एक वर्ष पूर्ण होने पर ,जब मैंने उनके कार्य की प्रशंशा की ,तब से सोनियाजी मुझ से नाराज़ थी .....एक बार संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद मेरा और उनका आमना सामना हुआ .....उनके साथ आये आजाद और अय्यर जी ने मुझे अभिवादन किया ,पर सोनियाजी चाहती थी ,मै पहले उन्हें अभिवादन करू .......वे भूल रही थी आप भारत के राष्ट्रपति के सामने है ना कि प्रणब मुखर्जी के सामने ......मुझे ये बात अन्दर तक चुभ गई की जो व्यक्ति भारत के प्रथम व्यक्ति का सम्मान नहीं करता वो गुलाम पसंद है .....और मै इस गुलामी से आजाद होना चाहता था..शायद इसलिए प्रणव दा आरएसएस के कार्यक्रम में शरीक हुए है।