इनके दर्द को भी समझिये..ये देर रात को रोते हुए सुनाई दे तो..सहमे या डरे नही..इनके दर्द को समझिये..ये दर्द उस भूख का भी हो सकता है जो पेट में कुछ न होने के कारण उठा हो । इन दिनों स्वच्छ्ता अभियान के चलते न सड़कों और न गलियों में कोई कुछ फेंक रहा है । व्यवस्था में लगी कचरे ले जाने वाली गाड़ियों में कुछ भोजन इन्ही मूक पशुओं का भी होता है जो अब इन्हें मिलता नहीं है । इनका कोई मालिक नही है । अभियान अच्छा है उसमें सहभागिता निभाते हुए शहर को साफ़ रखना हमारी जिम्मेदारी है लेकिन उसके अलावा हमारा फ़र्ज़ और मानवीयता इन मूक पशुओं के दर्द को भी समझने की है । आप बस इतना कीजिये आपके घर, गली, मोहल्ले, कॉलोनी में कही ऐसे आवारा दयनीय हालात में नज़र आएं तो उन्हें कुछ खाने को जरूर दे दें ।