आपके नजरिये में बदलाव जरूर आएगा-
"स्त्री समस्त ब्रम्हाण्ड है"
स्त्री से ही ये संसार है
स्त्री सृजन है
स्त्री जननी है
स्त्री सुख है
स्त्री आनंद है
स्री सहयोग है
स्री साथी है
स्त्री ज्ञान है
स्त्री अध्यात्म है
स्त्री उजाला है,रोशनी है
स्त्री उम्मीद है
स्त्री पवित्र है
स्त्री संगम है
स्त्री साथ है
स्त्री अहसास है
स्त्री आशा है
स्त्री जीवन है
स्त्री धूप में छाँव है
स्त्री थकान में राहत है
स्त्री प्रेम है
स्त्री पूजा है
स्त्री माँ है
स्त्री बहन है
स्त्री प्रेमिका है
स्त्री पत्नी है
स्त्री त्याग है
स्त्री इज्जत है
स्त्री सम्मान है
स्त्री शान है
स्त्री बलिदान है
स्त्री राधा है,मीरा है,रुक्मडी है,अनसुइया है,
स्त्री अनंत अपरिभाषित है
!!!!फिर क्यों जल रही है स्त्री ,फिर क्यों मारा जा रही है स्त्री,फिर क्यों घुट रही है स्त्री,फिर क्यों शर्मसार हो रही है स्त्री,फिर क्यों सरे बाजार लुट रही है स्त्री,फिर क्यों नोचि जा रही है स्त्री,फिर क्यों दहेज़ की सूली चढाई जा रही है स्त्री ,फिर क्यों????????????