manish acharya's Album: Wall Photos

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जीवन का एकमात्र सच है मृत्यु जो कि प्रत्येक मनुष्य के हिस्से में आती है। इस नश्वर संसार में यदि ईश्वर ने जन्म लिया है तो उसे भी मृत्यु का स्वाद चखना पड़ा है। जब ईश्वर मृत्यु से अछूता नहीं रहा तो किसी मनुष्य में क्या दम कि उससे जीत ले। जीवन-मृत्यु के इस खेल में एक चीज हमेशा तय रहती है कि मृत्यु सिर्फ शरीर की होगी, आत्मा हमेशा अजर-अमर रहेगी।
महापुरुषों की इस धरती से एक महापुरुष ने बिदाई ले ली है। एक महान राजनीतिज्ञ, महान नेता और वक्ता अटल बिहारी वाजपेयी नहीं रहे।
तू दबे पांव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आजमा।
ये उस कविता के चंद बोल हैं जो अटल जी के “अटल” इरादों और जज्बे को बयां करते हैं।
वो कभी किसी से नहीं डरे। उनके इन्हीं गुणों ने उन्हें आज मृत्यु के बाद भी हमेशा के लिए अमर कर दिया।
अटल जी राजनीति का वो सुनहरा अध्याय थे जिसका हर पन्ना सीख देता है। अटल जी ने 93 साल की उम्र में प्राण त्यागे लेकिन वो जिंदगी से कई सालों से लड़ रहे थे।

उन्हें डायबिटीज थी और उनका शरीर सिर्फ एक किडनी पर चल रहा था।
अटल जी वो महान नेता थे जिनके बारे में जानना सभी के लिए गर्व का विषय रहा है। हर भारतीय को उनके बारे में ये 7 बातें जरूर जाननी चाहिए।
1. शिक्षक के बेटे
25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक सामान्य शिक्षक के घर अटल जी का जन्म हुआ। अटल जी ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन से राजनीति में कदम रखा। ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज से की।
2. 13 दिन के प्रधानमंत्री
16 मई 1996 में पहली बार अटल जी ने देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। ये वो वक्त था जब राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने बीजेपी को सरकार बनाने का न्यौता दिया था। उस वक्त बीजेपी एकमात्र ऐसी पार्टी थी जो सरकार बना सकती थी लेकिन ये पद वो सिर्फ 13 दिन के लिए ही संभाल पाए ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बीजेपी के समर्थन में अन्य पार्टियां नहीं आईं थीं।
3. दूसरी बार भी किस्मत से हारे
पहली बार प्रधानमंत्री की गद्दी मात्र 13 दिन तक संभालने के बाद दूसरी बार भी सिर्फ 13 महीने तक ही अटल जी को देश का पीएम होने का सौभाग्य मिला। 19 मार्च 1998 से लेकर 17 अप्रैल 1999 तक सिर्फ 13 महीने के लिए अटल जी दोबारा पीएम बने। ऐसा सिर्फ 1 वोट से विश्वासमत हारने के कारण हुआ।
4. करगिल युद्ध
दूसरी बार प्रधानमंत्री रहते हुए उनके कार्यकाल में 11 मई 1998 को पोखरण में दूसरा न्यूक्लियर टेस्ट किया गया। फरवरी 1999 में अटल जी बतौर प्रधानमंत्री लाहौर बस सेवा से पाकिस्तान भी गए थे लेकिन इसके सिर्फ तीन महीने बाद ही पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया जिसे दुनिया ने करगिल युद्ध के नाम से जाना। इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को मुंहकी खिलाई और जीत हासिल की।
5. मुशर्रफ को न्यौता
1999 के लोकसभा चुनाव में वाजपेयी जी के नेतृत्व में “एनडीए” ने 303 सीटें हासिल कर पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई। अटल जी तीसरी बार 13 अक्टूबर 1999 में प्रधानमंत्री बने। बतौर पीएम पड़ोसी देश पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने और शांति बनाए रखने के लिए अटल जी ने जुलाई 2001 में परवेज़ मुशर्रफ को आगरा में एक समिट में बुलाया था लेकिन बैठक का कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला। परवेज मुशर्रफ करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान के आर्मी चीफ थे।
6. पीएम मोदी के साथ रिश्ते
अटल जी और नरेंद्र मोदी के बीच अत्यधिक गहरा रिश्ता नहीं था। 2002 में गुजरात दंगों के बाद उन्होंने नरेंद्र मोदी को राजधर्म का पालन करने की सलाह भी दी थी। वो चाहते थे कि मोदी दंगों के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दें लेकिन एल के आडवाणी ने मामला संभाल लिया।
7. लोकतांत्रिक और न्याय पसंद नेता
अटल जी को एक लोकतांत्रिक और बेहतरीन व्यक्तित्व का मालिक कहा जाता है। उन्होंने हमेशा देश को एक रखने की बात की। अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस कांड को भी उन्होंने गलत बताया था। वो हमेशा देश को जोड़ने की सीख देते थे।
अटल जी ने इस संसार को भले ही छोड़ दिया हो लेकिन वो हर देशवासी की यादों में हमेशा अमर रहेंगे।