भँवर भाई (हरि ऊँ)'s Album: Wall Photos

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#कान्वेन्ट_का_अर्थ_क्या_है ??

सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि यह शब्द कहाँ से? आया है तो आइये प्रकाश डालते हैं ।
--ब्रिटेन में एक कानून था लिव इन रिलेशनशिप, बिना किसी वैवाहिक संबंध के एक लड़का और एक लड़की का साथ में रहना। जब साथ में रहते थे तो शारीरिक संबंध भी बन जाते थे, तो इस प्रक्रिया के अनुसार संतान भी पैदा हो जाती थी तो उन संतानों को किसी चर्च में छोड़ दिया जाता था।

अब ब्रिटेन की सरकार के सामने यह गम्भीर समस्या हुई कि इन बच्चों का क्या किया जाये?? तब वहाँ की सरकार ने कान्वेन्ट खोले अर्थात जो बच्चे अनाथ होने के साथ-साथ नाजायज हैं उनके लिए कान्वेन्ट बने।
उन अनाथ और नाजायज बच्चों को रिश्तों का एहसास कराने के लिए उन्होंने अनाथालयो में एक फादर, एक मदर और एक सिस्टर होती है, क्योंकि ना तो उन बच्चों का कोई जायज बाप है, न माँ है, न बहन है।।
तो कान्वेन्ट बना नाजायज बच्चों के लिए।

अब भारतीयों की मूर्खता देखिए जिनके जायज माँ-बाप, भाई-बहन सब हैं, वो कान्वेन्ट में जाते है तो क्या हुआ एक बाप घर पर है और दूसरा कान्वेन्ट में जिसे फादर कहते हैं । आज जिसे देखो कान्वेन्ट खोल रहा है जैसे बजरंग बली कान्वेन्ट स्कूल, माँ भगवती कान्वेन्ट स्कूल। अब इन मूर्खो को कौन समझाये कि भइया माँ भगवती या बजरंग बली का कान्वेन्ट से क्या लेना देना? लेकिन भारत मे कान्वेंट स्कूलों का भूत पूंजीपतियों के सर पर सवार है। क्योंकि इन कान्वेंट विद्यालयों में अपने बच्चों को पढ़ाना और मंहगी फीस भरना उनका स्टेटस सिम्बल है। चाहे संस्कार धेला भर ना सीखें बच्चे।
इन स्कूलों में बच्चों को भारत की अनुपम संस्कृति का ज्ञान तो रत्ती भर भी नहीं दिया जाता और उल्टा, तिलक लगाकर आने पर बच्चों को एवं शिक्षकों को टोका जाता है।
इन्ही कान्वेंट विद्यालयों से निकलने वाले बच्चे जब बड़े होते है तब यही अपने माँ बाप को अनाथ आश्रम की व्यवस्था तक पंहुचाते है।
सभी महानुभावो से निवेदन है कि अपने बच्चों का अप्रत्यक्ष रूप से ईसाईकरण होने से बचाये..