आज #आचार्यश्रीविद्यासागर जी महामुनिराज गरौली गाँव, छतरपुर में आहार के बाद गरीब किसान की इस कुटिया में विराजित हुए.. आश्चर्य का विषय है ना इतना बड़ा व्यक्तित्व जिसकी साधना देखकर लाखो-करोड़ो लोग नतमस्तक हो जाते है वह विराट व्यक्तित्व कैसे एक छोटी सी कुटिया में समा गया होगा... आचार्यश्री का कुटिया में बैठना उनके दिगंबर होने की यथार्थता का बोध कराता है, बताता है कि सच्चे साधू ऐसे होते है।