काश बीमार भगवान की मौत हो जाती......
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भगवान बीमार थे वह भी आमरस पीने से।पुजारी ने भगवान के बदन दर्द को मिटाने के लिए मालिश किया है।डॉक्टर ने आला लगा करके भगवान का चेकअप भी कर लिया है।भगवान सेव-फल,काजू-मेवा आदि खाकर अपना स्वास्थ्य बना रहे हैं।अब भगवान स्वस्थ हो गए हैं।अजीब मंजर और खबर है।सर्वशक्तिमान भगवान और बीमार?सबको अन्न-धन,नौकरी-चाकरी या यूं कहिये कि मन की सारी मुरादें पूर्ण करने वाला ईश्वर बीमार?
भगवान बीमार और वह भी आमरस पीने से?भगवान को बदन दर्द और किया गया मालिस?भगवान काजू,मेवा,फल आदि खाकर हुए स्वस्थ?भगवान का चेकअप किया डॉक्टर?अजब-गजब है यह सब कुछ।भगवान या ईश्वर का कॉन्सेप्ट ही धूर्त लोगो ने बनाया है जिसे पूरी मजबूती से गड़ेरिया के घर मे जन्मे पेरियार रामास्वामी नायकर ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि ईश्वर को धूर्तो ने बनाया है और मूर्ख पूजते हैं।पेरियार द्वारा उपजाई गयी चेतना का असर है कि तमिलनाडु का वंचित समाज उस दौर में पेरियार से प्रभावित हो ईश्वर से विमुख हुवा तो 70 प्रतिशत आरक्षण के साथ तमिलनाडु में सर्वाधिक प्रभावशाली भूमिका में है वरना तो देश भर में कांवर आदि लेकर हर साल मुरादें मांगने वाला वंचित समाज इन बीमार हो जाने वाले भगवानो के पास अपनी बीमार मनःस्थिति के साथ जा ही रहा है और घण्टा बजा-बजा अपनी गाढ़ी कमाई पुरोहित को दे मन्नत पूरी होने की प्रत्याशा के साथ चला आ रहा है और हर साल इस क्रम को दुहरा रहा है।
चीन/जापान आदि जैसे अनीश्वरवादी या अमेरिका आदि जैसे एकेश्वरवादी देश आज पूरी दुनिया के सिरमौर बने हुए हैं।सारे अनुसन्धान यहां हो रहे हैं।हर नई तकनीक का ईजाद ये कर रहे हैं।यहां का उत्पादित सामान 33 करोड़ भगवानो वाला देश भारत खपा रहा है।दीपावली में दीपक,मोमबत्ती से लेकर झालर तक चाइनिज प्रयुक्त हो रहा है।होली में रंग से लेकर पिचकारी तक चाइनिज प्रयुक्त हो रहा है।बुलेट ट्रेन जापान से तो पटेल साहब की मूर्ति निर्माण से लेकर बैकिंग का कारोबार तक रामभक्त सरकार चीन से करवाने को आतुर है।चाइनिज मोबाइल ब्यापार भारत मे छा गया है।अमेरिका बॉस बना घूम रहा है जहां भगवानो का कोई स्थान नही है पर भारत मे कदम-कदम पर ये बीमार भगवान ही भगवान है जो कहीं अपच के शिकार है तो कहीं दर्द से परेशान है और उन्हें स्वस्थ बनाने के लिए यहां का गरीब-गुरबा,वंचित-उपेक्षित अपनी गाढ़ी कमाई चढ़ावा में चढ़ा आ रहा है जिसे भगवान के नाम पर खाकर कुछ लोग तोंद फुलाये प्रवचन कर रहे हैं।
मैं जब अखबारों में पढ़ा कि भगवान बीमार हैं तो मन मे आया कि जिस तरीके से इलाज के बावजूद गरीब आदमी मर जा रहा है,काश यह भगवान भी वैसे ही मर जाता।काश यह भगवान बीमारी से उबरने की बजाय मर जाता तो कम से कम भारत मे तो करोड़ो गरीब,पिछड़े/दलित इसकी त्रासदी से मुक्त हो जाते।सड़क पर भंडारा,अतिक्रमण कर मन्दिर निर्माण,महीनों तक कांवर यात्रा,वैष्णो-अमरनाथ आदि की दुर्गम चढ़ाई,भगवान के नाम पर फसाद आदि से इस देश का निरीह,गरीब यह सोचकर उबर जाता कि जाने दो बीमार हो हमारा भगवान मर गया अब उसका क्रिया-कर्म कर अपने काम मे निश्चिंत भाव से लग लिया जाय और इस देश को चीन,जापान,अमेरिका की तरह बनाया जाय लेकिन फिर कुछ ही दिनों बाद जब यह पढा कि भगवान का डॉक्टर ने चेकअप किया है।दवा-इलाज,मालिस आदि हुवा है।वे काजू,मेवा व फल आदि खाकर पुनः स्वस्थ हो गए हैं तो मुझे बड़ी निराशा हुई कि यह भगवान बीमारी से उबर अब फिर करोड़ो वंचित समाज के लोगो को पूर्व की भांति आगे भी अपनी अंधभक्ति में बीमार बनाये रखेगा और वे अपनी गाढ़ी कमाई ऐसे भगवानो को समर्पित करता रहेगा।
काश कथित रूप से बीमार पड़ा भगवान मर गया होता तो भारत का कमेरा अंधभक्त लूट से बच अब से भी कुछ संभल गया होता पर दुखद है कि ऐसा नही हुआ और भगवान पुनः स्वस्थ हो गया।