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मेरा गांव डुमरी-
श्रीमती सीता भूषण यादव जी(ग्राम प्रधान) द्वारा गांव सभा की करोड़ो रूपये की सम्पत्ति को भू माफियाओं से मुक्त कराया गया......
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तकरीबन 40 साल बाद हमारे ग्राम सभा डुमरी की तरफ से ग्राम प्रधान श्रीमती सीता भूषण यादव जी ने आराजी नम्बर 134 पोखरी रकबा 170 एयर व आराजी नम्बर 135 भीटा रकबा 478 एयर (लगभग 43 कट्ठा) पर अपना दावा करते हुए इसे ग्राम पंचायत की सम्पत्ति दर्ज करवाने में सफलता अर्जित कर लिया है।
हम जब छोटे थे तो इस पोखरी को निबियहवा पोखरा के नाम से जाना जाता था जिस पर कब्जा हमारी ग्राम सभा का ही था लेकिन कुछ लोगो द्वारा कागज में खेल किया जा रहा था।सन 1977 में हम अपने पिताजी के साथ जो उस वक्त ग्राम प्रधान थे, कोलकाता चले गए।हम लोग 1982 तक कोलकाता रहे इसी बीच 1978 में टाउन एरिया रामपुर कारखाना के शम्भूनाथ सिंह वगैरह द्वारा कूटरचना कर इस पोखरी व भीटा पर रिकार्डो में अपना नाम दर्ज करा लिया गया।1982 में मेरे पिताजी प्रधान पद का चुनाव हार गए।नए प्रधान लोग इस पोखरी के प्रति बेपरवाह हो गए और शम्भूनाथ सिंह ने इस पर अपना नाम दर्ज करा इसका उपभोग शुरू कर दिया।सन 2000 में हमारी पत्नी सीता भूषण यादव जी प्रधान बनी लेकिन हम भी इस पोखरी के प्रति बेपरवाह ही रहे क्योकि खतौनी में पूरी तौर पर अब शम्भूनाथ सिंह आदि के वारिसान का नाम अंकित हो चुका था।पोखरी और भीटा का कागज में नामोनिशान खत्म हो चुका था।इस पर कब्जा भी अब पूरी तौर पर इनलोगो का हो चुका था।
1978 में कूटरचना करने के बाद 1982 तक शांत रहे शम्भूनाथ सिंह व उनके वारिसान मेरे पिताजी के प्रधान पद से हटने के बाद जब इस पर काबिज हुए तो अब तक उनका कब्जा बना रहा है।इस बार जब तीसरी दफा मेरी पत्नी 2015 में प्रधान बनी तो मुझे कुछ कागजात अपने पिताजी के पुराने फाइल में मिले जिसमे इस पोखरी व भीटे का नाम अंकित था।मैंने उन कागजो को लेकर जब पड़ताल शुरू की और रिकार्ड रूम से आकर पत्र 41,आकार पत्र 45,आकर पत्र 2 क,नकल खतौनी 1323 आदि निकलवाया तो सारा फ्राड खुलकर सामने आ गया।इन सारे कागजातों में यह भीटा व पोखरी ग्राम पंचायत का मिला।
सारे कागजातों को लेकर ग्राम प्रधान सीता भूषण यादव जी ने 24 जून 2017 को माननीय मुख्यमंत्री जी,प्रमुख सचिव गृह,प्रमुख सचिव राजस्व,प्रभारी अधिकारी राजस्व परिषद उत्तर प्रदेश,मण्डलायुक्त व जिलाधिकारी देवरिया को रजिस्टर्ड डाक से सूचना दिया कि 43 कट्ठा पोखरी व भीटा भूमाफियाओं द्वारा फर्जी इन्द्राज करा लिया गया है जो ग्राम पंचायत की सम्पत्ति है।सूचना अधिकार के तहत भी सूचनाएं एकत्रित की गईं।
24 जून 2017 से शुरू हुए कागजी लड़ाई की अंतिम परिणति 12 जून 2018 को धारा 9 A2 वाद संख्या 1151 न्यायालय चकबन्दी अधिकारी प्रथम देवरिया द्वारा दिये गए निर्णय से हुवा जिसमे उन्होंने पोखरी व भीटा पर दर्ज किए गये आदेश को फर्जी व कूटरचित करार देते हुए खारिज कर पुनः ग्राम पंचायत का नाम अंकित करने का आदेश जारी कर दिया।
17 जुलाई 2018 को ग्राम पंचायत की खुली बैठक में जब इस निर्णय की सूचना ग्रामवासियों को दी गयी तो सैकड़ो की तादात में उपस्थित लोग हर्षित हो ग्राम प्रधान सीता भूषण यादव को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए यह बोल पड़े कि यह कठिन काम किसी और के बूते का नही था।
ज्ञातव्य हो कि इस पोखरी पर ही रामपुर कारखाना कस्बे का छठ मेला लगता है जिसमे हजारो महिला-पुरुष जुटते हैं।रामपुर कारखाना थाना से सटे दक्षिण स्थित यह पोखरा एक ऐतिहासिक पोखरा है जो 43 कट्ठा में है और जिसकी कीमत एक करोड़ रुपये से ज्यादा है।