आज गुरु पूर्णिमा है। बौद्ध ग्रंथों के अनुसार गौतम बुद्ध ने सारनाथ पहुँचकर आषाढ़ पूर्णिमा के दिन अपने प्रथम पाँच शिष्यों को सर्वप्रथम शिक्षा प्रदान की थी। वह दिन आज है। इसे धम्म - चक्क - पवत्तन कहा जाता है।
बौद्ध परंपरा में आषाढ़ पूर्णिमा से वर्षावास प्रारंभ होता है और आश्विन की पूर्णिमा को समाप्त होता है। यह वर्षावास 4 माह का होता है। इसलिए इसे चतुर्मास भी कहते हैं।
चतुर्मास में बौद्ध भिक्षु किसी एक बौद्ध विहार में रहकर अध्ययन - अध्यापन करते हैं, ध्यान - साधना करते हैं। फिर वर्ष के शेष महीनों में चारिका के लिए निकल पड़ते हैं।
पालि में वस्स का अर्थ साल भी होता है, वर्षा भी होता है। तब वर्षाकाल से ही वर्ष की नाप होती थी। इसीलिए वस्स का अर्थ साल और वर्षा दोनों होता है। वर्ष इसी वस्स का अपभ्रंश है।
विश्वगुरु गौतम बुद्ध को गुरु पूर्णिमा के दिन नमन!!!