मॉब लिंचिंग अब पिछडो की तरफ मुखातिब-
बेतिया में प्रोफेसर हरिनारायण ठाकुर (नाई) को संघियों ने किया अपमानित.......
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भारतीय संस्कृति की बड़ी खूबियां जताते हैं हम लेकिन यह खूबियां किनके लिए हैं?किसी प्रोफेसर हरिनारायण ठाकुर (नाई) या प्रोफेसर संजय यादव (अहीर) के लिए थोड़े ही हैं,ये खूबियां तुलसी दास जी के "पूजिय विप्र शील-गुण हीना" के लिए हैं।
हमे अपनी बात कहने की आजादी हजार वर्ष पूर्व भी न थी और आज भी नही है।दुनिया का ग्लोबलाइजेशन हो जाना हम सबके लिए थोड़ा सकूँ प्रदान करने वाला है वरना तो गली-गली शम्बूक और एकलब्य मिलते यहां।
मोतिहारी (बिहार) में प्रोफेसर संजय यादव को मनुवादी गुंडों ने पीटकर मरणासन्न बना दिया है तो इस घटना के पूर्व बेतिया (बिहार) में प्रोफेसर हरिनारायण ठाकुर जी को अपमानित किया गया है।प्रोफेसर हरिनारायण ठाकुर जी के साथ ही साथ कुछ और लोग अपमानित हुए हैं।
आपके शास्त्र इस देश के बहुजनो के अपमान से पटे पड़े हैं,आप का दैनिक व्यवहार समाज मे 85 प्रतिशत आबादी को।कदम-कदम पर अपमानित कर रहा है लेकिन यदि हमने कोई बात तर्क के साथ लह दी तो आपकी आस्था इतनी न चोटिल हो जा रही है कि आप तर्क से जबाब देने की बजाय मनु के संविधान के मुताबिक आचरण करने लग जा रहे हैं।
प्रोफेसर हरिनारायण ठाकुर जी पिछड़े समाज के महानतम नेता कर्पूरी ठाकुर जी की नाई (हजाम) बिरादरी से हैं।आप एक योग्य प्रोफेसर व सोशल ऐक्टिविस्ट हैं।आप के प्रगतिशील विचारो को दबाने के लिए मनुवादी गुंडों की गुंडई का हम प्रतिकार करते हैं और यह बताना चाहते हैं कि अब बहुजन डरने व दबने वाला नही है।हमे कुर्बानी पसन्द है लेकिन सामाजिक/धार्मिक गुलामी पसन्द नही है।
मनुवाद में जकड़े हुए पिछडो देख लो तुम्हारे समाज के बुद्धजीवियों से कितना खतरा महसूस कर रहे हैं ये मनुवादी लोग?इन्हें समता,समानता से कोई मतलब नही है, इन्हें जातीय श्रेष्ठता के लिए जोंक बनना कबूल है जिसके जरिये ये हजार वर्षों की भांति अब भी मानवता का खून पीते हुए हृष्ट-पुष्ट बने रहें।
सावधान और एकजुट होवो वंचित समाज के लोगो क्योकि मनुवाद अपने आखिरी उफान पर है।