स्कूल के दिनों से एक सवाल मुझे परेशान करता रहा. आखिर ये कैसे हुआ कि जब पूरा भारत बौद्ध धर्म को मान रहा था, देश के हर कोने में बौद्ध मठ स्थापित थे, तब एक दिन आखिरी मौर्य शासक बृहद्रथ को उसका ब्राह्मण सेनापति पुष्यमित्र शुंग मार देता है और पूरे देश को दोबारा ब्राह्मण धर्म के अधीन कर लेता है.
उस समय भी भारत की आबादी करोड़ों में थे. करोड़ों बौद्धों ने इसका विरोध क्यों नहीं किया? कोई बगावत क्यों नहीं हुई?
ये इतनी आसानी से कैसे हुआ कि शुंग ने कह दिया कि बौद्ध भिक्खुओं के सिर लाने वालों को सोने के सिक्के दिए जाएंगे और ये हो गया.
आज जब संविधान का मजाक उड़ाया जा रहा है, आरक्षण के प्रावधान खत्म किए जा रहे हैं, सवर्णों को आरक्षण दिया जा रहा है, न्यायपालिका बेलगाम होकर जातिवादी खेल खेल रही है, तब एससी-एसटी-ओबीसी की चुप्पी देखकर समझ में आ रहा है कि दो हजार साल पहले भारत से बौद्ध धर्म कैसे खत्म हुआ होगा.
तब भी बौद्ध नेताओं ने दगाबाजी की होगी. शुंग से मिल गए होंगे. ब्राह्मणों के बौद्धिक आतंक से बौद्ध विद्वान डर गए होंगे.
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- दिलीप मंडल, पूर्व सम्पादक
इंडिया टुडे