हमारे पूर्वज बौद्ध ग्रंथ पढ़ते थे, बौद्ध धम्म में रूचि थी !
ईसा बाद ब्राह्मणिक तलवार साम्राज्य में ब्राह्मणों ने संस्कृत में ऋग्वेद वेद पुराण अदि लिखे, जिसे हमारे पूर्वजों ने पढ़ने से मानने से इंकार कर दिया !
ब्राह्मण वैदिक राजाओं ने चाल चली, बौद्ध ग्रंथों को पढ़ने से रोकने के लिए हमारे पूर्वजों को शिक्षा के अधिकार से वंचित कर दिया गया !
उन्होंने ने झूठे भगवान निर्मित किये मंदिर बनाए, इसमें भी हमने जाने से इंकार कर दिया, ब्राह्मणों ने फिर खुद लिखना शुरू किया बौद्धों को मंदिर में आने की मनाही है !
विद्रोही बौद्धों को शूद्र बनाया गया, ब्राह्मणों के आगे समर्पण करने वालों बौद्धों को क्षत्रिय और वैश्य का दर्जा दिया गया !
शिक्षा से वंचित होने से आने वाली अनेक पीढ़ी अपना इतिहास भूल गई, बौद्ध सभ्यता बुद्ध अशोक जैसे नाम उन्हें पता नही थे !
उन्हें लगा वैदिक संस्कृति ही उनकी संस्कृति है !
1850 साल बाद पहला शूद्र (बौद्ध) महात्मा ज्योतिबा फुले शिक्षित हुए और उन्होंने ने बौद्ध ग्रंथ को पढ़ा जाना समझा, और कहा भारत का वर्त्तमान ब्राह्मण साहित्य पर आधारित है जो एक तरफा है !
बौद्ध सभ्यता और बौद्ध ग्रंथों को भारत के ब्राह्मणों ने जानबुझ कर नकार दिया, और आज जो मॉडर्न इंडिया है ब्राह्मणिक ग्रंथों उनके भेद भाव मूल्यों की बुनियाद पर खड़ा है !