सवर्णों में आख़िरी समाज सुधार आंदोलन राजा राम मोहन राय ने चलाया था।
इसकी वजह से सवर्णों ने अपने परिवार की विधवाओं को सार्वजनिक रूप से जलाना बंद कर दिया।
उनके और ईश्वर चंद विद्यासागर के प्रयासों से सवर्णों में विधवाओं को ज़िंदगी भर अविवाहित रखने और उनका शोषण करने की प्रथा भी बंद हुई।
लेकिन तब से लगभग दो सौ साल होने को हैं।
सवर्णों में इतने लंबे समय से कोई समाज सुधार नहीं हुआ। वे बुरी तरह बीमार हैं।
वहीं सवर्ण समाज के प्रगतिशील, चैतन्य, समझदार, वामपंथी, लोकतांत्रिक बुद्धिजीवी लोग अपने समाज में सुधार आंदोलन करने की जगह दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के बीच अपनी नेतागीरी चमकाने में लगे हैं।
सवर्णों में समाज सुधार करने वाले क्या दूसरे ग्रहों से आएँगे?