सुनने में आ रहा है कि इस समय अगर कोई ओबीसी बच्चा आईएएस बन जाता है तो वह क्रीमी लेयर के मुकदमेबाजी में न फंसे, उसके लिए कार्मिक मंत्रालय को 10 से 15 लाख रुपये देने पड़ रहे हैं।
जिन बच्चों को यह बात नही पता रहती है, वो कैट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में यह साबित करने के लिए मुकदमे लड़ रहे हैं कि वो क्रीमी लेयर में नहीं हैं। और अक्सर बच्चों को पता नहीं होता कि क्या रेट चल रहा हैBjp और किसे देना है। इसकी वजह यह है कि सामान्यतः बहुत आम परिवारों के ओबीसी बच्चे आईएएस बनते हैं। कार्मिक मन्त्रालय में आईएएस क्या, कोई क्लर्क भी उन्हें अपना रिश्तेदार ढूंढने पर नहीं मिलता जो सही जानकारी और सटीक आदमी के बारे में बता सके।
अगर सरकार कैट में हार जाती है तो हाई कोर्ट में लड़ा रही है। हाई कोर्ट में हारने पर सुप्रीम कोर्ट में लड़ा रही है। लेकिन 2014 में सलेक्ट बच्चों तक को अब तक ज्वाइनिंग नहीं मिली है।
कैट के एक सीनियर वकील की एक हियरिंग की फीस डेढ़ लाख रुपये है। आप समझ सकते हैं कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकील की फीस कितनी होगी और आईएएस बनकर मिठाई बांट चुके बच्चों और उनके निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों का क्या हाल होगा!
लम्बी लड़ाई और आर्थिक तबाही झेलकर आईएएस बनने वाले इन बच्चों से किस ईमानदारी की उम्मीद की जाए? मुकदमे तो सभी जीतेंगे, यह तय है,भले ही मौजूदा सरकार जाने के बाद जीतें।
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आप तो बस जोर जोर से #भामाकीजै बोलिए। साथ ही बजरंग दल का नारा लगाइए कि कटुए काटे जाएंगे, शिव शिव चिल्लाएंगे।
जय राम जी की।