Kamaljeet Jaswal's Album: Wall Photos

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पिछले महीने आसाम की घटना है। 5वीं में पढ़ने वाली बच्ची की गैंगरेप के बाद जलाकर हत्या कर दी गई। दोषियों के धर्म इस्लाम था। पुलिस ने त्वरित कार्यवाही की। दोषियों को पकड़कर जेल में डाला।

दूसरी घटना यूपी की है जिसमे उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ़ बलात्कार के मामले को वापस ले लिया। मामला कोर्ट में था और पीड़िता ने इसका विरोध किया। पर आज के समाज के लिए ये भी एक सामान्य घटना रही।

तीसरी घटना भी यूपी की है। जिसमें बलात्कार की पीड़िता के पिता को पुलिस उठाकर ले जाती है। पिटाई करती है, जिससे पीड़िता के पिता की मौत हो जाती है। पुलिस प्रशासन बलात्कारी को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक देता है। सत्ताधारी पार्टी के लोग फेसबुक पर अपना काम करते है। तरह तरह के किस्से कहानी चला कर मामले में पीड़ित को ही आरोपी बनाने की कोशिश करते है।

चौथी घटना जम्मू की है। जहां 8 साल की बच्ची के साथ रेप होता है। दोषियों में एक पुलिस अफसर, एक हेड कॉन्स्टेबल, एक मंदिर का पुजारी। प्रशासन ढुलमुल कार्यवाही करता रहा। बलात्कारियों के पक्ष में लोग तिरंगा लेकर सड़कों पर उतर आए। मंत्री भी बलात्कारियों का पक्ष ले रहे थे। बार एशोसिएशन पीड़ित पक्ष के वकील का बहिष्कार करता है। और केंद्र के सत्ताधारी दल के लोगों को लगता है कि "मामूली बात" का बतंगड़ बनाया जा रहा है।

पांचवी घटना है बिहार की, यहां भी एक युवक ने, हां मुस्लिम युवक ने एक हिन्दू बच्ची का बलात्कार किया। पुलिस ने कार्यवाही की, दोषी को पकड़ा गया।

सारी घटनाएं बलात्कार की है। ऐसी हर घटना समाज पर कलंक है। पर कुछ घटनाएं इससे भी परे है। क्योंकि जिन पर इनको रोकने की जिम्मेदारी है, वे इनमें सम्मिलित है। शासन, प्रशासन और जनता, तीनो इनको समर्थन दे रही है। इससे खतरनाक चीज इस देश के लिए और कुछ नहीं हो सकती।

जहां स्त्री मात्र एक वस्तु हो उसमें ये घटना सामान्य कही जा सकती है। पिछले सालों में धर्म के नाम पर जो गंदगी फैलाई गई, उसने इन घटनाओं को और ज्यादा सामान्य बना दिया है। सामान्य तो ये तभी हो गयी थी जब इस देश की संसद में जाने वाले लोग खुलेआम कहते थे कि वे एक लेकर जाएंगे तो हम सौ लायेंगे, वे जो करेंगे हम उसका सौ गुना करेंगे। पब्लिक तालियां बजाती है। इनाम मिलता है, सत्ता सौंपती है।

फिर हमें कहते है कि हम इनके धर्म, इनकी पार्टी को बदनाम कर रहे है। यूपी और जम्मू की घटना के बाद इनकी पार्टी के समर्थक ग्रुप , पेज का विश्लेषण करिए, कमेंट देखिए। फिर बताओ कि हम बदनाम कर रहे है या तुम हो ही ऐसे।

पिछले महीने भी कश्मीर में बलात्कार के एक आरोपी पुलिस अफसर को बचाने के लिए जम्मू में प्रदर्शन हुए थे। पहले ये लोग इन लोगों को बचाते है, अपने धर्म और राष्ट्रवाद के पीछे इनको छिपाते है, फिर कहते है नहीं हम इनके साथ नहीं, लोग हमें बदनाम कर रहे है , और बाद में ये ही लोग इनके धर्म मंचो और राष्ट्र चिंतन शिविरों में मुख्य अतिथि बने मिलते है।

दरसअल आज के समाज में धर्म की बात आते ही बलात्कार की घटना एक सामान्य बात हो जाती है। कुछ लोग धर्म की आड़ लेकर इनको जायज बता देते है। कुछ विरोध करते है। और जो कभी कभार अपने आंसू बिखेरते है उनका दर्द भी बलात्कार का विरोध करने वालों की शिकायत करने के बाद सामान्य हो जाता है।

वैसे आजकल सब फांसी देने की बात कर रहे है। पर मेरा मानना है कि फांसी की सजा भी इन घटनाओं को नहीं रोक सकती। समाज में कमी कहीं और ही है। जो लगातार इन अपराधों में इजाफा कर रही है।

हमारे जो सबसे ज्यादा चिंता की बात है वो है इन घटनाओं का सामान्यीकरण, इनको शासन प्रशासन और समाज का समर्थन। जिस राज्य, समाज में हम रहते है उसमें इस तरह की घटनाओं का इस तरह से बचाव, इससे खतरनाक कुछ नहीं। ये पाकिस्तान और चीन के हमले से भी ज्यादा खतरनाक चीज है। आप ही सोचिए , आपके बच्चों के साथ कभी कोई ऐसी घटना हो, और तब शासन प्रशासन जनता भी आपके साथ न हो, इससे खतरनाक चीज़ भी कोई हो सकती है किसी समाज के लिये, किसी देश के लिए??
Abhishek Lakra