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“दलित और आदिवासी अनपढ़ बने रहेंगे, ताकि पूंजीपतियों को सस्ते मजदूर मिलते रहें”
खरी-खरी , , बुधवार , 21-03-2018
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हिमांशु कुमार
मेरे पड़ोसी ने मुझसे कहा कि
मैंने कल अपनी बेटी और अपनी पत्नी को स्वायत्तता दे दी
मैंने अपने परिवार से कहा है कि आज के बाद मैं ना तो तुम्हारे स्कूल की फीस दूंगा
ना खाने के लिए सामान लाऊंगा
ना कपड़ा खरीद कर दूंगा
ना मकान का किराया दूंगा
मेरी जो तनखा है मैं उससे दारू पिऊंगा
और अपनी रखैल के लिए हीरों का हार खरीदूंगा
इस देश को मेरे इस कदम की तारीफ करनी चाहिए
अगर आपको मेरे इस कदम में गलती नजर आ रही है
तो फिर आपको उसी सांस से भाजपा सरकार के नए कदम का भी विरोध करना चाहिए
भाजपा सरकार ने ठीक ऐसा ही निर्णय कर लिया है
भाजपा सरकार ने 62 यूनिवर्सिटियों को स्वायत्तता देने का फैसला लिया है
इसका अर्थ यह है कि अब सरकार इन विश्वविद्यालयों को पैसा नहीं देगी
इसका अर्थ यह भी है कि अब यह विश्वविद्यालय खुद को चलाने के लिए सेठों से पैसा मांगेंगे
और बदले में पूंजीपति वह पढ़ाई चालू करेंगे
जो उनका बिजनेस चलाने के लिए जरूरी है
यानि अब आपके बच्चे समाज विज्ञान, भारत का इतिहास, जातिवाद, शोषण, और आर्थिक लूट यह सब नहीं पढ़ पाएंगे
जनता सरकार को इसलिए बनाती है
ताकि सरकार उनके बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था करे
इलाज की व्यवस्था करे
सड़कें बनाए और रोजगार के साधन का निर्माण करें
लेकिन सरकार में बैठे हुए नेता अमीर पूंजीपतियों से रिश्वत लेकर चुनाव लड़ते हैं
और फिर पूरी सरकार को पूंजीपतियों की जेब में डाल देते हैं
और सारे फैसले पूंजीपतियों की भलाई के लिए करते हैं
अमीर चाहते हैं कि सरकार गरीबों से जमा किए गए सारे पैसे अमीरों को छूट के रूप में दे
और जनता पर खर्च ना किया जाए
तो सरकार जनता का टैक्स का पैसा अमीरों को सब्सिडी के रूप में देने लगती है
सरकार जनता पर खर्च करना बंद कर देती है
ठीक यही इस समय भारत में हो रहा है
सरकार ने इस बजट में चिकित्सा क्षेत्र में पैसा खर्च करने की बजाय
प्राइवेट बीमा कंपनियों को पैसा देने का नियम बना दिया
भाजपा सरकार इतनी बदमाशी इसलिए कर पा रही है
क्योंकि इसे मालूम है की जनता को धर्म का नशा पिला दिया गया है
जनता खुश रहेगी कि मुसलमानों को दबाया जा रहा है
सरकार बहुत अच्छी है
लेकिन इस बीच सरकार जनता की यूनिवर्सिटियां बंद कर देगी
अस्पताल बंद कर देगी
और सारा सरकारी पैसा अमीर सब्सिडी के नाम पर लूटकर ले जाएंगे
मजहब का यही इस्तेमाल होता है
राजनीति में जब मजहब घुसता है
तो वह लुटेरों की मदद करता है
चाहे वह अरब हो चाहे भारत
अब JNU भी प्राइवेट हो जाएगा
अब जेएनयू में बिहार के दलित गरीब
बस्तर के आदिवासी नहीं पढ़ पाएंगे
अब वहां पर वही पढ़ पाएगा जो कैपिटेशन फीस दे पाएगा
यानि अमीरों के बच्चे तो पढेंगे लेकिन भारत के आदिवासी और दलित अपढ़ बने रहेंगे
दलित और आदिवासी अनपढ़ बने रहेंगे
ताकि पूंजीपतियों को सस्ते मजदूर मिलते रहें
और अमीरों के बच्चे उन पर राज करते रहें
जैसे प्राचीन भारत में होता था
यही भारतीय परम्परा है
संघ और भाजपा ने बहुत चालाकी से पहले आप के दिलों में यह बैठा दिया
कि जेएनयू में पढ़ने वाले बच्चे देशद्रोही हैं
और आपका टैक्स का पैसा देशद्रोहियों की शिक्षा पर खर्च किया जा रहा है
उसके बाद बड़े मजे से JNU और साथ में 61 विश्वविद्यालयों को दी जाने वाली सरकारी मदद बंद कर दी
इसे कहते हैं धूर्तता और राजनैतिक बेईमानी
इसका जोरदार व्यापक विरोध होना चाहिए वरना भाजपा का यह कदम पीढ़ियों को बर्बाद कर देगा।
(हिमांशु कुमार गांधीवादी कार्यकर्ता और विचारक हैं। आप आजकल हिमाचल प्रदेश में रहते हैं।)
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Ajay Kumar akela :: - 03-24-2018
9596756581
??? :: - 03-22-2018
सर्, मैं सामान्य मध्यम वर्ग से हूँ। छोटा सा व्यापार है पिछले 15 वर्षों से। जिससे कुछ 30 -35 लाख की कुल बचत कर के एक घर बनाया। जबकि मेरे शहर में बसने वाले तथाकथित गरीबो ने नजूल भूमि पर कब्ज़ा किया अब राजनीति के कारण उन्हें मालिकाना हक दिया जा रहा है, मेरे सामने आके बैठे फटेहाल आज मुझसे आगे हो गए, कभी कभी बुरा लगता है कि हम बेवकूफ है जो तरीके से काम कर रहे है टैक्स भर रहे है, फिर भी इनकी सुविधाओं के लिए हम क्यों भरे। मुफ्त में कुछ देने से कोई भी आत्मनिर्भर नही बनता बस मुफ्तखोर बनता है।
Dilip Moon :: - 03-22-2018
Bilkul sahi
Shailendra :: - 03-21-2018
Dear Himanshu Kumar, go and read the difference between Autonomous and private institutes. मुँह से गोबर करने के पहले थोड़ा सोच लिया करो ...
Jitendra kashyap :: - 03-21-2018
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