Ek bhagat ye bhi
एक गधा दूसरे गधे से, रोते कराहते हुए बोला -
यार.
मेरा मालिक बहुत मारता है.विदेशों से लाये महंगे हंटर से कहां कहाँ की कितनी चमड़ी उधेड़ देता कि बता भी नहीं सकता.
#दूसरा_गधा: अबे इस #फेकु_पागल के पास तू टिका हुआ ही क्यों है? भाग क्यों नहीं जाता इस के यहाँ से..??
पहला गधा: भाग तो जाता भाई, मगर मेरे अच्छे दिन आने वाले हैं, बस उसी उम्मीद में रूका हुआ हूँ..
दुसरा गधा: क्या मतलब..??
#पहला_गधा: मतलब ये कि..
मालिक की एक खूबसूरत भतीजी है ( बेटी पैदा करने की तो औकात नही) वो जब भी शरारत करती है तो मालिक कहता है
कि तेरी शादी गधे से कर दूंगा, बस..
मैं भी उम्मीद में बैठा हूं कि कभी तो अच्छे दिन आयेंगे..
दूसरे गधे की आँखों में चमक आई...नारंगी रंग का स्कार्फ गले में लपेट कर बोला:
"भाई आज से मैं भी यहीं रहूँगा. हंटर खा लूंगा मगर अच्छे दिन की आस नहीं छोडूँगा, आखिर गधा तो मैं भी हूँ, मेरा भी हक और मौका बनता है."
और तब से जैसे जैसे मालिक के गधों की संख्या बढ़ती गई.
वैसे वैसे एक कहावत विदेशों तक में मशहूर होती गई.