आत्मबल इन्सान को अन्दर से मजबुत करता हैं जो उसे अन्त तक लड़ने के सक्षम बनाता हैं।
कोई भी जंग मर कर नहीं जीती जाती बल्कि दुश्मन को मारकर जीती जाती हैं ।
मैदाने-ऐ-जंग मे जीतता वही हैं जो खुद को उस काबिल बनाता हैं फिर वो जंग चाहे चाकु,छुरी,बन्दुक,तलवार की हो या वैचारिक...
आईऐ वैचारिक जंग में खुद को उस काबिल बनाने के लिए "भारतीय विधार्थी मोर्चा" से जुड़े।
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