Kamaljeet Jaswal's Album: Wall Photos

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जो लोग कहते है कि फेसबुक ,व्हाट्सएप्प पर इतनी मेहनत करने से क्या फायदा होगा? उन लोगो को जवाब मेरी कलम से

दादासाहब फ़ाल्के का नाम तो आपने सुना ही होगा? भारतीय सिनेमा के पितामह कहा जाता है उन्हे। आइये ,जब हम गुलाम थे ; तब उन्होने ब्राह्मणवाद को मजबूत करने और देश को भक्ति का नशा कराने में कितनी मेहनत की थी, वो बताता हूँ ।
उनकी बनाई हुई मूवीज़ पर एक नजर डालिये !

राजा हरिश्चन्द्र -1913
मोहिनी भस्मासुर -1913
सत्यवान सावित्री -1914
सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र -1917
भक्त प्रहलाद - 1926
बालाजी निम्बालकर -1926
हनुमान जन्म - 1927
रुकमांगदा मोहिनी - 1927
भक्त सुदामा - 1927
नल दमयंति -1927
रुक्मणी हरण - 1927
भक्त दामाजी - 1928
परशुराम - 1928
संत मीराबाई -1929
गंगावतार - 1937*

लिस्ट तो बहुत लंबी है लेकिन ये सोचिए कि सौ साल पहले इन्होंने अपनी जड़े मजबूत कर भारत को मानसिक गुलाम बनाने के लिए इतनी मेहनत की।

और उनके जैसे सभी प्रतिभाशाली ब्राह्मणो ने भी जी जान लगाकर महेनत की जैसे गुलशन कुमार नें अंधविश्वास भरे गाने गा कर अंधविश्वास फैलाया इन पाखंडियों की लगातार कोशिश के वजह से आज हमें गुलाम बना कर वे सत्ता पर बैठे है।

सौ साल के बाद हम जिंदा तो नही होंगे लेकिन इस सुकून से तो मरेंगे कि हमने कुछ कोशिश की थी-- अपने समाज को धार्मिक पाखंड; अंधविश्वासों ; कर्मकाण्डों व मानसिक गुलामी की जंजीरों से निकालने की ..

आप सभी से निवेदन है कि अपने अपने तरीके से इनका मुकाबला करें। सत्ता मुफ्त में नही मिलती है।

आने वाली पीढ़ियो के लिए लिखें, और अगर कुछ नही तो इसे शेयर ही कर दें ।।