मनुवादियों के रामराज्य में
पूरे उत्तर भारत से किसी भी पिछड़ी या दलित जाति या आदिवासी समुदाय का सुप्रीम कोर्ट में आज तक कोई जज नहीं बना।
न लोधी, न जाट,, न यादव,, न कुर्मी, न अहीर, न कुशवाहा, न मल्लाह, न राजभर, न कुम्हार, न न संथाल, न उराँव, न मीणा, न चमार, न दुसाध, न खटिक, न पासी। इस में अपनी जाति को जोड़ लीजिए।
जब सुप्रीम कोर्ट में 85% लोगों का एक भी जज नहीं है तो फिर न्याय की उम्मीद कैसे कर सकते हो यहां न्याय नहीं मिलता है सिधा फैसला किया जाता है अभी भी वक्त बहुजन साथियों आंखे खोलो अपनी।
इसलिए ही यह विदेशी आर्य संविधान को खत्म करना चाहते हैं और मनुस्मृति लागू करना चाहते हैं।